जाड़े की धूप – कविता

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वैसे तो जाड़े के अलावा और भी मौसम हैं जैसे गर्मी, बरसात, पतझड़ और वसंत। लेकिन सर्दी का मौसम सबसे सुहाना होता है। शायद इसीलिये इस मौसम को सभी मौसमों की रानी भी कहा जाता है। और इसी मौसम के ऊपर हम लाए हैं जाड़े की धूप कविता।

लेकिन क्या आपको पता है, मौसम कैसे बदलते हैं?

मौसम बदलने की सबसे बड़ी वजह है हमारी धरती का सूरज के चारो तरफ चक्कर लगाना। जब पृथ्वी सूरज के बहुत नाजदीक होती है तो गर्मियाँ आ जाती हैं और जब सूरज से बहुत दूर होती है तो सर्दियाँ आ जाती हैं। इसी वजह से सर्दियों में सूरज की रोशनी भी कम आती है और कभी-कभी तो बिल्कुल भी धूप नहीं निकलती।

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जाड़े की धूप – कविता || Jaade ki Dhoop Poem

आज हम आपके लिए लाए हैं “जाड़े की धूप” कविता। ये कविता बहुत छोटी सी है लेकिन आपको पसंद आएगी क्योंकि कविता में वो एहसास है जो आप सभी ने सर्दी के मौसम में जरूरी महसूस किया होगा।

जब मौसम बिलकुल साफ हो और ठंडी हवा आपके गालों को छू रही हो, तब जाड़े की धूप का अलग ही मजा है।

एक अलग ही एहसास मिलता है खासकर जब आप नहा धोकर सुबह सुबह बाहर निकलते हैं।

इसलिए ये कविता उन सभी के लिए है जिन्होंने जाड़े की धूप का लुत्फ उठाया हो।

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सुबह सुबह आकर समझाती,
हम सबको जाड़े की धूप।

जितनी सूरज की किरणे हैं,
उतने हैं बचपन के रूप॥

आँख खुले तो सलाम सभी को,
नित शाला को जाना।

नदी नाव से मिलजुल रहना,
सबको सुखी बनाना॥

 

 

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आपको ये कविता कैसी लगी, हमें कमेंट करके जरूर बताएँ।

अगर आपके पास भी आपकी लिखी हुई कोई कविता है, तो आप हमें ई-मेल कर सकते हैं हमारे ईमेल badteraho@gmail.com पर. उस कविता को हम आपके नाम के साथ पोस्ट करेंगे।

 

 

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