स्मार्टफोन – एक वरदान और एक अभिशाप

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ये लेख हमें हुमैरा ख़ातून ने भेजा है जो कि जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की छात्र हैं और अंतर्राष्ट्रीय निबंध प्रतियोगिता में भी हिस्सा ले चुकी हैं जिसमें इन्होंने प्रथम पुरष्कार भी जीत के रूप में हासिल किया है। इससे पहले इन्होंने स्वस्थ जीवन के लिए ज़रूरी बातें लेख लिखा था जो अच्छी सेहत से सम्बंधित है और बढ़तेरहो के पाठकों ने भी इसे काफी पसंद किया था।

ऐसे भी दिन थे जब हम एक ख़ास जगह पर बैठते थे जहाँ टेलीफोन रखे जाते थे। हम इधर-उधर नहीं जा सकते थे क्योंकि टेलीफोन तारों से जुड़े हुए थे। अब समय के साथ टेक्नोलॉजी वायरलेस हो गई और हम अपनी ज़रूरत के हिसाब से कहीं भी इनका इस्तेमाल कर सकते हैं। हम कल्पना भी नहीं कर सकते कि सिर्फ एक दशक में हम कितनी दूर आ गए हैं।
सोशल मीडिया, लैपटॉप और अन्य गैजेट्स का जन्म तकनीकी प्रगति का ही परिणाम है। इन तकनीकों को समाज की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए विकसित किया गया है। और इसी वजह से बढ़ी हुई जनसंख्या और बढ़ते वैश्वीकरण ने तकनीकी प्रगति की आवश्यकता को जन्म दिया।

तकनीकी युग के अंतिम दशक में जो तकनीक मुझे सबसे ज़्यादा आकर्षित करती है, वो है स्मार्टफोन का विकास। मोबाइल फोन, पेजर और कंप्यूटर के जन्म से पहले, पत्र लिखना संचार के सबसे बुनियादी रूपों में से एक था।

संचार मुख्य संकेतकों में से एक है जो ये बताता है कि समय के साथ तकनीक कितनी उन्नत हो गई है। आज, तेज गति और संचार के विभिन्न माध्यमों से संकेत मिलता है कि दुनिया विकसित हो चुकी है और यह तकनीकी प्रगति के साथ विकसित हो रही है। उपभोक्ता के लिए विंडोज फोन, टैबलेट और एंड्रॉइड फोन जैसे बहुत सारे विकल्प हैं। लोग इन स्मार्टफोन्स के नए वर्जन और अपडेटेड एप्लिकेशन का आनंद लेते हैं।

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इसलिए मैं स्मार्टफोन प्रौद्योगिकी के प्रभाव के बारे में अपना अनुभव और अपनी सोच बताना चाहती हूँ। पिछले अनुभवों को साझा करना और याद रखना एक प्यारा एहसास है और जब हम अपने विचारों या भावनाओं को अपने प्रियजनों के साथ साझा करते हैं, तो वो ख़ुशी दोगुनी हो जाती है।

मुझे पिछले साल अपना नया स्मार्टफोन मिला और मैंने इसे सभी को दिखाया क्योंकि मैं बहुत ख़ुश थी। अचानक मेरे स्मार्टफोन पर एक मैसेज आया और मैं अपने दोस्त से चैट करने लगी। मैसेज करने में इतना व्यस्त हो गयी कि परिवार की बातचीत ही नहीं सुनी। मेरे दादाजी मुझे देख रहे थे और उन्होंने मुझसे पूछा कि ये मैसेज कैसे काम करता है। जब मैंने उन्हें बताया कि इससे तुरंत मैसेज पहुंच जाता है तो वो बहुत हैरान थे कि आजकल हम कितनी तेजी से संचार कर सकते हैं और तकनीक कैसे विकसित हो गई है।

उन्होंने मुझे बताया कि उनके समय में वे पत्र लिखा करते थे और डाक सेवा के माध्यम से संबंधित व्यक्ति को संदेश भेजा जाता था। मैंने अपने दादाजी को दिखाया कि हम कितनी तेजी से इस मोबाइल के ज़रिये बातचीत कर सकते हैं। उन्हें यह जानकर भी आश्चर्य हुआ कि इंटरनेट से कनेक्ट होने पर इस मोबाइल के माध्यम से न केवल संचार बल्कि शिक्षा भी प्राप्त की जा सकती है। हम ज़रूरी डाक्यूमेंट्स सेव कर सकते हैं। अब हमारा परिवार और दोस्त सिर्फ एक संदेश दूर हैं।

अगर हमारे पास कोई आपात स्थिति है तो हम किसी को भी मैसेज कर सकते हैं और मदद मांग सकते हैं। हम लंबी दूरी की यात्रा कर सकते हैं और फिर भी स्मार्टफोन का उपयोग करके अपने परिवार से जुड़ सकते हैं। हम तस्वीरें और वीडियो भेज सकते हैं ताकि वे हमारे जीवन का हिस्सा महसूस कर सकें। पहले हमें ईमेल का जवाब देने के लिए कंप्यूटर की जरूरत पड़ती थी। अब, हम अपने स्मार्टफोन का उपयोग ईमेल पढ़ने या भेजने और अपने सोशल मीडिया कि ज़रिये दूसरे लोगों तक पहुंचने के लिए कर सकते हैं।

हर चीज से जुड़े ऐप्स हैं, हम अपने कामों को काफी आसानी से पूरा कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, हम केवल कुछ टैप से खाना ऑर्डर कर सकते हैं। हम सामान को ऑनलाइन खरीद सकते हैं, हम अपने फोन का उपयोग नोट्स लिखने, और कार्य रिपोर्ट लिखने, टू-डू सूची बनाने, अलार्म सेट करने, कैलेंडर देखने और बहुत कुछ करने के लिए कर सकते हैं।

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यदि हम युवा लोगों के फेसबुक अकाउंट को देखें तो हम देखेंगे कि वे अलग अलग तरीकों से अपना टैलेंट दुनिया को दिखा पा रहे हैं। यह फैशन के माध्यम से भी हो सकता है, या उनके काम के माध्यम से हो सकता है। लोग ब्लॉग या अपने जीवन या काल्पनिक पात्रों के बारे में कहानियाँ भी लिख रहे हैं। ऑनलाइन वीडियो, ट्यूटोरियल और अन्य ऑनलाइन सीखने के अवसरों के माध्यम से, युवा लोग अपने स्कूल के विषयों और उनकी दुनिया के साथ-साथ व्यावहारिक कौशल के बारे में भी अधिक ज्ञान प्राप्त करते हैं। स्मार्टफोन की मदद से लोग आसानी से जानकारी साझा कर सकते हैं।

हमारा स्मार्टफोन GPS डिवाइस के रूप में कार्य कर सकता है। मैंने अपने दादाजी को दिखाया कि कैसे हमारे स्मार्टफोन हमें किसी भी स्थान कि जानकारी प्रदान करते हैं। चाहें हम गाड़ी चला रहे हों या सड़क पर चल रहे हों, हम अपने स्मार्टफोन के जीपीएस फीचर की मदद से आसानी से अपने गंतव्य स्थान तक पहुँच सकते हैं। मैं अपने दादाजी के साथ एक दुकान पर जा रहा थी जो हमारे घर से लगभग दो किलोमीटर दूर थी। मैंने अपने फोन पर जीपीएस खोला और उन्हें दिखाया कि कैसे जीपीएस हमारे लिए दिशा-निर्देश प्रदान करेगा। जीपीएस की मदद से दुकान पर पहुंचने के बाद, दादाजी वास्तव में चकित थे कि स्मार्टफोन में इतने उपयोगी गुण होते हैं जो वास्तव में सहायक होते हैं।

बातचीत करते करते मैं स्मार्टफोन के फायदों की लिस्ट अपने दादाजी को बताती जा रहा थी वो और वो एक छोटे से बॉक्स की इन सभी खूबियों को जानकर हैरान रह गए और हँसते हुए कहा कि यह सिर्फ संचार के लिए फोन नहीं है बल्कि अलादीन का जादुई चिराग है जो सभी ज़रूरतों को पूरा करता है।

मुझे दोस्तों के साथ चैट करने और इंटरनेट पर सर्फिंग करने में मजा आ रहा था, क्योंकि दुनिया के साथ अपने विचारों, अपनी सोच और अपने आईडिया को शेयर करना काफी मज़ेदार था और यह मेरे स्मार्टफोन के साथ बहुत आसान हो गया। मुझे ऑनलाइन जाने के लिए बस टैप करना था। मैंने अपने स्मार्टफोन पर पढ़ाई से जुड़ी किताबें पढ़ना शुरू किया। मेरे अम्मी अब्बू ने हमेशा मुझे समझाया कि अगर मैं अपने फ़ोन का ज़्यादा इस्तेमाल करती हूँ और ज़्यादातर समय इस पर गुज़ारती हूँ तो मुझे इसकी लत लग जाएगी जो कि मेरी सेहत और हर चीज़ के लिए खतरनाक होगा।

हर चीज़ के फ़ायदे और नुकसान होते हैं। किसी भी चीज़ का ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल नुकसान कर सकता है। मुझे स्मार्टफोन के अधिक उपयोग के हानिकारक प्रभावों के बारे में पता चला। यह हमारी मनोविज्ञान की कक्षा थी जब एक शिक्षक स्मार्टफोन के अत्यधिक उपयोग के कारण होने वाले मानसिक/मस्तिष्क विकारों पर चर्चा कर रहे थे। मेरी एक दोस्त अनिद्रा (Insomnia) से पीड़ित थी, जिसमें नींद ना आना एक परेशानी बन जाती है और इसके पीछे की जो अहम् वजह थी वो थी स्मार्टफोन की लत।

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हाल ही के शोध से पता चला है कि इन स्मार्टफोन से निकलने वाली नीली रोशनी रेटिना को नुकसान पहुँचाती है और शरीर के नींद चक्र को नियंत्रित करने वाले हार्मोन मेलाटोनिन के उत्पादन को बाधित करती है। इससे न केवल अधिक रातों की नींद और थकान होगी, बल्कि हृदय रोग, मोटापा, अवसाद और चिंता सहित कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं।

मनोविज्ञान के शिक्षक ने सामाजिक संबंधों पर स्मार्टफोन के नकारात्मक प्रभाव के बारे में भी पढ़ाया। स्मार्टफोन ने लोगों को अपने सामाजिक जीवन से दूर करना शुरू कर दिया है। वे हमें अपने दोस्तों और परिवार से दूर कर रहे हैं। लोग एक दूसरे व्यक्ति से मिलने और सार्थक बातचीत करने के बजाय मैसेज भेज देते हैं। यहाँ तक कि जब लोग एक-दूसरे से मिलते भी हैं, तो वे लगातार बातचीत से विचलित हो जाते हैं क्योंकि उस वक़्त भी वो अपने फोन को चलने में व्यस्त होते हैं।

अचानक मुझे याद आया कि उस दिन मैं अपने दादाजी और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ कितनी ख़ुशी से बात कर रहा थी, जब मुझे अपना फ़ोन मिला और मैंने अपने स्मार्टफोन पर मैसेज पढ़ने और भेजने के लिए हमारी पारिवारिक बातचीत को नज़रअंदाज कर दिया। अब मुझे उस दिन के बारे में सोच कर बुरा महसूस हो रहा था कि मैंने खुद को सबसे करीबी लोगों से दूर कर लिया और उन लोगों के साथ बातचीत शुरू कर दी जो मुझसे बहुत दूर थे।

स्मार्टफोन एक व्याकुलता है। हम लगातार इसका इस्तेमाल करते रहते हैं या कुछ न कुछ सोशल मीडिया पर तलाश करते रहते हैं। जबकि वास्तविक दुनिया में क्या हो रहा है इस बात से अनजान रह जाते हैं। लोग अपनी नौकरी, रिश्तों, शिक्षा और ज़िम्मेदारियों से दूर होने लग जाते हैं।

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वाकई स्मार्टफोन एक ऐसा नशा है जो आजकल सोशल इंटरेक्शन को काट देता है। पहले बच्चे अपने दोस्तों के साथ खेल के मैदानों में मौज-मस्ती करते थे और खेलते थे, लेकिन अब आधे से ज्यादा बच्चे वीडियो गेम और कार्टून के आदी हो गए हैं, जो स्मार्टफोन के माध्यम से आसानी से उपलब्ध हैं। मैंने अखबारों में रिसर्च देखी है कि कैसे बच्चे अपने स्मार्टफोन में छुप-छुप कर एडल्ट कंटेंट देखते थे और अपना भविष्य बर्बाद कर रहे हैं।

अब स्मार्टफोन के इस्तेमाल के फायदे और नुकसान के बारे में जानकर मैं सतर्क हो गयी हूँ। हम प्रौद्योगिकी के विकास और उपयोग से इंकार नहीं कर सकते, क्योंकि तकनीकी प्रगति लोगों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए ही की जाती है। तकनीकी युग की बढ़ती गति के साथ, हमें भी इन परिवर्तनों के लिए खुद को ढालना होगा, क्योंकि हम इस बदलते डिजिटल युग का हिस्सा हैं। और हमें अपने समाज की तरक्की में योगदान देना है जिससे कि बेहतर तरक्की हो, समाज साक्षर हो, और ज़रूरी मुद्दों पर ज्ञान और नए विचारों का आदान प्रदान हो।

लेकिन हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि इस प्रकार की तकनीकों के कुछ हानिकारक प्रभाव होते हैं, इसलिए हमें इनका उपयोग हमेशा सीमित तरीके से करना चाहिए। व्यक्ति को सामाजिक संबंधों के मूल्य और महत्व को जानना चाहिए और हमेशा अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहना चाहिए। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए मैंने अपना समय भी निर्धारित किया है जिसके अनुसार मैंने अपने स्मार्टफोन को अलग-अलग अंतराल पर दिन में डेढ़ घंटे तक इस्तेमाल किया।

अब ये परिवार के सभी समझदार सदस्यों कि भी ज़िम्मेदारी है कि बच्चों और युवाओं के समय को शारीरिक गतिविधियों और तकनीकी गतिविधियों में कैसे संतुलित किया जाए। इसका तरीका खोजने कि बहुत आवश्यकता है।

 


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