प्लास्टिक की बोतल का प्लांटर कैसे बनाएँ

आजकल प्लास्टिक की चीज़ों का इस्तेमाल बढ़ने से हमारे पर्यावरण को बहुत नुक्सान पहुँच रहा है।
इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि हमने प्लास्टिक की वस्तुएँ इस्तेमाल के लिए तो बना ली हैं लेकिन उनके निपटारे का समाधान नहीं निकाला है।
प्लास्टिक और हमारा माहौल || Plastic and Our Environment
भारत जैसे तरक्की करने वाले देश में इस तरफ ध्यान देने की बहुत ज़रूरत है।
फिर भी कोई लोगो ने इस और ध्यान दिया है और वो पर्यावरण को बचाने के लिए काफी मेहनत भी कर रहे हैं। लेकिन कहीं ना कहीं हमें कचरे के रूप में प्लास्टिक की बोतल और दूसरी चीज़ें नज़र आ ही जाती हैं।
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प्लास्टिक बोतल का दुबारा इस्तेमाल || Re-Use of Plastic Bottles
इस के इस विषय में हमने एक वीडियो भी जोड़ा है। जिसमें हम आपको एक ऐसा तरीका सिखाएंगे कि प्लास्टिक की बोतल को हम कैसे दुबारा इस्तमाल कर सकते हैं।
आपके अपने घर की, स्कूल की, कॉलेज की या किसी भी जगह की खूबसूरती बड़ा कर सकते हैं।
इस वीडियो को हमने कॉलेज के दिनों में अपने दोस्तों की मदद से बनाया था।
उम्मीद है कि इस वीडियो से आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा और आप दूसरे को भी सीखने में मदद करेंगे।
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ज़रूरी सामान की लिस्ट प्लास्टिक की बोतल का प्लांटर बनाने के लिए आपको नीचे लिखी चिजो की जरूरत पड़ेगी:- 1. प्लास्टिक की बोतल 2. एक चाकू या कटर 3. सूती कपड़ा या रिबन 4. साफ मिट्टी 5. एक पौधा (मनी प्लांट या कोई भी पौधा)
बोतल का प्लांटर बनाने का एक और फ़ायदा

इसे बनाने के बाद एक बहुत अच्छी बात है ये है कि आपको रोज़ाना इस पौधे को पानी देने की ज़रूरत नहीं है। क्यूंकी इन बातलों में पानी के लेवल को आसानी से देखा जा सकता है। जिससे आपको पता चल जाएगा कि बोतल में कितना पानी बचा है और पानी कम होने पर बोतल में पानी भर सकते हैं।
आप हफ्ते या दो हफ्ते में एक बार बोतल के नीचे वाले हिस्से में पानी भर सकते हैं।
इन पौधों का इस्तेमाल घर के अंदर और बाहर सजावट के लिए किया जा सकता है। आप चाहें तो इन्हें दीवार पर भी लटका सकते हैं।
पौधे की किस्म के आधार पर आप इन्हें अंदर या बाहर कहीं भी रख सकते हैं।
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यह काम कैसे करता है?
ये सिस्टम बिल्कुल उसी तरह काम करता है जैसे एक लालटेन या चिराग काम करता है।
जैसे लालटेन तब तक जलती रहती है जब तक उसके निचले हिस्से यानी उसके टैंक में मिट्टी का तेल (केरोसिन तेल) रहता है। ये तेल सूती रेशों से बनी रस्सी या रिबन के सहारे लालटेन के ऊपरी हिस्से में पहुँचता है जहाँ ये जलकर रोशनी करता है।
और इसी तरह चिराग या दिया भी काम करता है। जिस्मे सरसों के तेल या घी का इस्तेमाल किया जाता है।
ठीक इसी तरह पौधे की जड़ें मिट्टी पर दवाब डालती हैं, जिसकी वजह से मिट्टी में दबा हुआ कपड़ा उस दवाब से पानी को ऊपर की तरफ खींचता है।
विज्ञान में इस प्रक्रिया को उप-सिंचाई (Sub-Irrigation) कहते हैं।
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तो आपको हमारी आज की पोस्ट कैसी लगी, हमें कमेंट करके जरूर बताएँ और वीडियो को भी जरूर देखे। आज के लिए इतना ही, फिर मिलते हैं एक नया विषय के साथ।
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