बुज़ुर्गों का महत्त्व – कविता

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यह कविता मान्शी जी ने भेजी है। इस कविता में मान्शी जी ने बुज़ुर्गों के महत्त्व को अपने शब्दों में कविता के माध्यम से व्यक्त किया है। हमारे पेरेंट्स हमारे लिए कितनी मेहनत करते हैं और हमारी खुशियों के लिए कितना समझौता करते हैं। इसलिए हमें भी चाहिए के उनके बूढ़ा होने पर हम उनका साथ निभाएँ और उनकी लाठी बनकर उन्हें सहारा दें।

उम्मीद करते हैं ये कविता आपको बहुत पसंद आएगी। आपको ये कविता कैसी लगी, हमें कमेंट करके भी बता सकते हैं। 


गर्मी में पेड़ की छाँव की तरह,
सर्दी में अग्नि के ताप की तरह,
होते हैं बुज़ुर्ग।

अपने अनुभव से आगे बढ़ाना सिखाते हैं,
समाज की कठिनाइयों से पार करते हैं।

अच्छी पुस्तक की तरह हमें नई राह दिखाते हैं,
हमारी खुशियों में अपनी ख़ुशी ढूंढकर मुस्कुराते हैं।

अपना पूरा जीवन हमारी ज़रूरतों को पूर्ण करने में बिताते हैं,
हमें दुनिया की हर खुशियों से रूबरू कराते हैं।

दुःख को हमारे पास तक नहीं आने देते हैं।

ना जाने फिर भी क्यों हम उनका महत्त्व भूल जाते हैं?
उन्हें वृद्धाश्रम छोड़ आते हैं।

वो हमारा पालन पोषण करके हमें सफल बनाते हैं,
परन्तु हम उनके बुढ़ापे की लाठी नहीं बन पाते हैं।

चलो आज फिर संकल्प करें,
हमें ऐसा कुछ करके दिखाना है,
देश से वृद्धाश्रम को हटाना है।

बुज़ुर्गों को उनके घर में वापस लाना है,
अब हमें उनके बुढ़ापे की लाठी बनकर दिखाना है।

ये भी पढ़ें: माँ और बेटी – कविता


अगर आपके पास भी आपकी लिखी हुई कोई कविता है, तो आप हमें ई-मेल कर सकते हैं हमारे ईमेल badteraho@gmail.com पर। उस कविता को हम आपके नाम के साथ पोस्ट करेंगे।

2 Comments

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    Manshi Singh Reply

    January 20, 2025 at 7:58 pm

    This is written by my . Pls delete it . Or just add my name . pls its a humble request

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    Manshi Singh Reply

    January 20, 2025 at 7:59 pm

    This is written by my . Pls delete it . Or just add my name . pls its a humble request pls This is no good to copy someones content for fame

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