आज आप में से मेरी माँ जैसी खुशबू आ रही है

एक प्राथमिक स्कूल मे अंजलि नाम की एक शिक्षिका थीं। वह कक्षा 5 की क्लास टीचर थी, उसकी एक आदत थी कि वह कक्षा मे आते ही हमेशा “Love You All” बोला करतीं थी।

मगर वह जानती थीं कि वह सच नहीं बोल रही हैं।
वह कक्षा के सभी बच्चों से एक जैसा प्यार नहीं करती थीं।
कक्षा में एक ऐसा बच्चा था जो उनको एक आँख भी नहीं भाता था। उसका नाम राजकुमार था। राजकुमार मैली कुचेली स्थिति में स्कूल आ जाया करता है। उसके बाल खराब होते, जूतों के फीते खुले, शर्ट के कॉलर पर मेल के निशान। पढ़ाई के दौरान भी उसका ध्यान कहीं और होता था।

मेडम के डाँटने पर वह चौंक कर उन्हें देखता, मगर उसकी खाली खाली नज़रों से साफ पता लगता रहता कि राजकुमार शारीरिक रूप से कक्षा में उपस्थित होने के बावजूद भी मानसिक रूप से गायब है, यानी (Present Body Absent Mind)।

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धीरे-धीरे मेडम को राजकुमार से नफ़रत सी होने लगी। क्लास में घुसते ही राजकुमार मेडम की आलोचना का निशाना बनने लगता। सब बुराई उदाहरण राजकुमार के नाम पर किये जाते। बच्चे उस पर खिलखिला कर हंसते और मेडम उसको अपमानित कर के ख़ुशी प्राप्त करतीं।
राजकुमार ने हालांकि किसी बात का कभी कोई जवाब नहीं दिया था।

मेडम को वह एक बेजान पत्थर की तरह लगता जिसके अंदर आत्मा नाम की कोई चीज नहीं थी। प्रत्येक डांट, व्यंग्य और सजा के जवाब में वह बस अपनी भावनाओं से खाली नज़रों से उन्हें देखा करता और सिर झुका लेता। मेडम को अब इससे गंभीर नफ़रत हो चुकी थी।

पहला सेमेस्टर समाप्त हो गया और प्रोग्रेस रिपोर्ट बनाने का चरण आया तो मेडम ने राजकुमार की प्रगति रिपोर्ट में यह सब बुरी बातें लिख मारी। प्रगति रिपोर्ट माता पिता को दिखाने से पहले हेड मास्टर के पास जाया करती थी।

उन्होंने जब राजकुमार की प्रोग्रेस रिपोर्ट देखी तो मेडम को बुला लिया। “मेडम प्रगति रिपोर्ट में कुछ तो राजकुमार की प्रगति भी लिखनी चाहिए। आपने तो जो कुछ लिखा है इससे राजकुमार के पिता इससे बिल्कुल निराश हो जाएंगे।

मेडम ने कहा – “मैं माफी माँगती हूँ, लेकिन राजकुमार एक बिल्कुल ही बेकार और निकम्मा बच्चा है। मुझे नहीं लगता कि मैं उसकी प्रगति के बारे में कुछ लिख सकती हूँ।” मेडम घृणित लहजे में बोलकर वहाँ से उठ कर चली गईं और तब तक स्कूल की छुट्टी भी हो गई।

अगले दिन हेड मास्टर ने एक विचार किया ओर उन्होंने चपरासी के हाथ मेडम की डेस्क पर राजकुमार की पिछले वर्षों की प्रगति रिपोर्ट रखवा दी।

अगले दिन मेडम ने कक्षा में प्रवेश किया तो रिपोर्ट पर नज़र पड़ी। पलट कर देखा तो पता लगा कि यह राजकुमार की रिपोर्ट हैं। मेडम ने सोचा कि पिछली कक्षाओं में भी राजकुमार ने निश्चय ही यही गुल खिलाए होंगे। उन्होंने सोचा और कक्षा 3 की रिपोर्ट खोली। रिपोर्ट में टिप्पणी पढ़कर उनकी आश्चर्य की कोई सीमा न रही जब उन्होंने देखा कि रिपोर्ट उसकी तारीफों से भरी पड़ी है। “राजकुमार जैसा बुद्धिमान बच्चा मैंने आज तक नहीं देखा। बेहद संवेदनशील बच्चा है और अपने मित्रों और शिक्षक से बेहद लगाव रखता है।”

उसमें और आगे लिखा था –
“अंतिम सेमेस्टर में भी राजकुमार ने प्रथम स्थान प्राप्त कर लिया है।”

मेडम ने अनिश्चित स्थिति में कक्षा 4 की रिपोर्ट खोली। उसमें लिखा था – “राजकुमार ने अपनी माँ की बीमारी का बेहद प्रभाव लिया है। उसका ध्यान पढ़ाई से हट रहा है। राजकुमार की माँ को अंतिम चरण का कैंसर हुआ है। घर पर उसका ध्यान रखने वाला और कोई नहीं है जिसका गहरा प्रभाव उसकी पढ़ाई पर पड़ा है।”

निचे हेड मास्टर ने लिखा कि – “राजकुमार की माँ मर चुकी है और इसके साथ ही राजकुमार के जीवन की चमक और रौनक भी। उसे बचाना होगा। इससे पहले कि बहुत देर हो जाए।” यह पढ़कर मेडम के दिमाग पर भयानक बोझ हावी हो गया। काँपते हाथों से उन्होंने प्रगति रिपोर्ट बंद की । मेडम की आँखों से आँसू एक के बाद एक गिरने लगे। मेडम ने साड़ी से अपने आँसू पोंछे।

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अगले दिन जब मेडम कक्षा में दाख़िल हुईं तो उन्होंने अपनी आदत के अनुसार अपना पारंपरिक वाक्यांश “I Love You All” दोहराया।

मगर वह जानती थीं कि वह आज भी झूठ बोल रही हैं। क्योंकि इसी क्लास में बैठे एक उलझे बालों वाले बच्चे राजकुमार के लिए जो प्यार वह आज अपने दिल में महसूस कर रही थीं, वह कक्षा में बैठे और किसी भी बच्चे से ज़्यादा था।

पढ़ाई के दौरान उन्होंने रोज़ाना दिनचर्या की तरह एक सवाल राजकुमार पर दागा और हमेशा की तरह राजकुमार ने सिर झुका लिया। जब कुछ देर तक मेडम से कोई डांट फटकार और सहपाठी सहयोगियों से हँसी की आवाज़ उसके कानों में न पड़ी तो उसने अचंभे में सिर उठाकर मेडम की ओर देखा। अप्रत्याशित उनके माथे पर आज बल नहीं थे, वह मुस्कुरा रही थीं।

उन्होंने राजकुमार को अपने पास बुलाया और उसे सवाल का जवाब बताकर जबरन दोहराने के लिए कहा। राजकुमार तीन चार बार के आग्रह के बाद आख़िरकार बोल ही पड़ा। इसके जवाब देते ही मेडम ने न सिर्फ ख़ुद खुशान्दाज़ होकर तालियाँ बजाईं बल्कि सभी बच्चों से भी बजवायी..

फिर तो यह रोज़ाना की दिनचर्या बन गयी। मेडम हर सवाल का जवाब अपने आप बताती और फिर उसकी ख़ूब सराहना तारीफ करतीं। प्रत्येक अच्छा उदाहरण राजकुमार के कारण दिया जाने लगा। धीरे-धीरे पुराना राजकुमार सन्नाटे की कब्र फाड़ कर बाहर आ गया। अब मेडम को सवाल के साथ जवाब बताने की ज़रूरत नहीं पड़ती। वह रोज बिना त्रुटि उत्तर देकर सभी को प्रभावित करता और नये नए सवाल पूछ कर सबको हैरान भी करता ।

उसके बाल अब कुछ हद तक सुधरे हुए होते, कपड़े भी काफी हद तक साफ़ होते जिन्हें शायद वह खुद धोने लगा था। देखते ही देखते साल समाप्त हो गया और राजकुमार ने दूसरा स्थान हासिल कर कक्षा 5 वी पास कर ली यानी अब दुसरी जगह स्कूल मे दाख़िले के लिए तैयार था।

कक्षा 5 वी के विदाई समारोह में सभी बच्चे मेडम के लिये सुंदर उपहार लेकर आए और मेडम की टेबल पर ढेर लग गया। इन खूबसूरती से पैक हुए उपहारो में एक पुराने अखबार में बदतर सलीके से पैक हुआ एक उपहार भी पड़ा था। बच्चे उसे देखकर हंस रहे थे। किसी को जानने में देर न लगी कि यह उपहार राजकुमार लाया होगा।

मेडम ने उपहार के इस छोटे से पहाड़ में से लपक कर राजकुमार वाले उपहार को निकाला। खोलकर देखा तो उसके अंदर एक महिलाओं द्वारा इस्तेमाल करने वाली इत्र की आधी इस्तेमाल की हुई शीशी और एक हाथ में पहनने वाला एक बड़ा सा कड़ा कंगन था जिसके ज़्यादातर मोती झड़ चुके थे। मिस ने चुपचाप इस इत्र को खुद पर छिड़का और हाथ में कंगन पहन लिया। सब बच्चे यह दृश्य देखकर हैरान रह गए। खुद राजकुमार भी। आखिर राजकुमार से रहा न गया और मैडम के पास आकर खड़ा हो गया। ।

कुछ देर बाद उसने अटक अटक कर मेडम को बोला “आज आप में से मेरी माँ जैसी खुशबू आ रही है।” इतना सुनकर मेडम की आँखों में आँसूं आ गये और मेडम ने राजकुमार को अपने गले से लगा लिया

राजकुमार अब दूसरे स्कूल मे जाने वाला था। उसने दूसरी जगह स्कूल मे दाखिले ले लिया था। समय बितने लगा।
दिन सप्ताह, सप्ताह महीने और महीने साल में बदलते भला कहाँ देर लगती है?

मगर हर साल के अंत में मेडम को राजकुमार से एक पत्र नियमित रूप से प्राप्त होता जिसमें लिखा होता था कि “इस साल कई नए टीचर्स से मिला।। मगर आप जैसा कोई नहीं था।”

आख़िरकार राजकुमार की पढ़ाई पूरी हो गई और पत्रों का सिलसिला भी ख़त्म हो गया। कई साल और गुज़रे और मेडम भी रिटायर हो गईं।

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एक दिन मेडम के घर अपनी मेल में राजकुमार का पत्र मिला जिसमें लिखा था:
“इस महीने के अंत में मेरी शादी है और आपके बिना शादी की बात मैं नहीं सोच सकता। एक और बात, मैं जीवन में बहुत सारे लोगों से मिल चुका हूं। आप जैसा कोई नहीं है………आपका डॉक्टर राजकुमार।

पत्र में साथ ही हवाई जहाज़ का आने जाने का टिकट भी लिफ़ाफ़े में मौजूद था।
मेडम ख़ुद को हरगिज़ न रोक सकी। उन्होंने अपने पति से अनुमति ली और वह राजकुमार के शहर के लिए रवाना हो गईं। शादी के दिन जब वह शादी की जगह पहुँचीं तो थोड़ी लेट हो चुकी थीं।

उन्हें लगा समारोह समाप्त हो चुका होगा.. मगर यह देखकर उनके आश्चर्य की सीमा न रही कि शहर के बड़े डॉक्टर, बिजनेसमैन और यहाँ तक कि वहाँ पर शादी कराने वाले पंडित जी भी थक गये थे, कि आखिर कौन आना बाकी है… मगर राकुमार समारोह में शादी के मंडप के बजाय गेट की तरफ टकटकी लगाए उनके आने का इंतजार कर रहा था।

फिर सबने देखा कि जैसे ही एक बूढ़ी औरत ने गेट से प्रवेश किया राजकुमार उनकी ओर लपका और उनका वह हाथ पकड़ा जिसमें उन्होंने अब तक वह कंगन पहना हुआ था और उन्हें सीधा मंच पर ले गया।

राजकुमार ने माइक हाथ में पकड़ कर कुछ यूं बोला “दोस्तों आप सभी हमेशा मुझसे मेरी माँ के बारे में पूछा करते थे और मैं आप सबसे वादा किया करता था कि जल्द ही आप सबको उनसे मिलाउंगा।……..
ध्यान से देखो यह यह मेरी प्यारी सी माँ दुनिया की सबसे अच्छी है यह मेरी माँ हैं।

प्रिय दोस्तों…. इस सुंदर कहानी को सिर्फ़ शिक्षक और शिष्य के रिश्ते के कारण ही मत सोचिएगा । अपने आसपास देखें, राजकुमार जैसे कई फ़ूल मुरझा रहे हैं जिन्हें आप का ज़रा सा ध्यान, प्यार और स्नेह नया जीवन दे सकता है………..👍



 

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