एक पिता – कविता
यह कविता हमें दिप्ती पाठक जी ने भेजी है। इनके द्वारा भेजी गई और भी कविताएँ हैं जो हमने अपने ब्लॉग में प्रकाशित की हैं। जैसे कि: माँ और बेटी – कविता , हमारे वीर जवान – कविता।
इस कविता में दिप्ती जी ने एक पिता का अपने बच्चों के प्रति संवेदना और ज़िम्मेदारियों को व्यक्त किया है। उम्मीद करते हैं ये कविता आपको बहुत पसंद आएगी। आपको ये कविता कैसी लगी, हमें कमेंट करके भी बता सकते हैं।
जो अंदर से नर्म और बहार से कठोर,
जिनका साथ है सबसे अनमोल।
जो ख़ुद से भी ऊँचा बच्चों को बनाना चाहे,
इनकी यही सोच मुझे भाए।
जो करें अपने बच्चों से असीमित प्यार,
और ना आने दे उनपर कोई बाधाओं का वार।
ये भी पढ़ें: जाड़े की धूप – कविता
वह पिता ही है जो दिखाता अपने बच्चों को सही राह,
मगर कोई ना पहचान पाए उनकी कठोरता के पीछे का प्यार।
वह बच्चों की ख़ुशी में ख़ुद की ख़ुशी दिखाते नहीं,
वह बच्चों के दुख में अपना दुख जताते नहीं।
कुछ ऐसे होते हैं पिता हमारे जिन्हें हम पहचान पाते नहीं।
अगर आपके पास भी आपकी लिखी हुई कोई कविता है, तो आप हमें ई-मेल कर सकते हैं हमारे ईमेल badteraho@gmail.com पर। उस कविता को हम आपके नाम के साथ पोस्ट करेंगे।
0 Comments