जिस दफ्तर में थे चपरासी, परीक्षा पास कर उसी में बन गए अधिकारी (शैलेंद्र कुमार बांधे)

कहानी है एक साधारण इंसान की, जिसने अपने मजबूत इरादों और कड़ी मेहनत के दम पर असाधारण सफलता हासिल की। यह कहानी है शैलेंद्र कुमार बांधे की, जो कभी एक सरकारी दफ्तर में चपरासी थे और अब उसी दफ्तर में अधिकारी बनकर मिसाल पेश कर रहे हैं।

शैलेंद्र कुमार का सफर उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है जो सोचते हैं कि संसाधनों की कमी और कठिनाइयों के चलते वे अपने सपनों को पूरा नहीं कर सकते। इस ब्लॉग में हम उनकी कहानी को विस्तार से जानेंगे और समझेंगे कि कैसे एक छोटे से पद से लेकर बड़े अधिकारी बनने तक उन्होंने हर चुनौती का डटकर सामना किया।

प्रारंभिक जीवन और संघर्ष

शैलेंद्र कुमार बांधे का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, और पढ़ाई का खर्च उठाना भी मुश्किल था। लेकिन शैलेंद्र ने कभी अपने सपनों को मरने नहीं दिया। स्कूल के दिनों से ही वे पढ़ाई में अच्छे थे और सरकारी नौकरी पाने का सपना देखा करते थे।

चपरासी की नौकरी से शुरूआत

शैलेंद्र की पहली नौकरी एक चपरासी के रूप में थी। वे सरकारी दफ्तर में चाय-पानी की व्यवस्था करते और फाइलें इधर-उधर पहुंचाते। यह काम उनके आत्मसम्मान के खिलाफ था, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए उन्होंने इस काम को सहर्ष स्वीकार किया वक्त की करवट देखिए, हालात से मजबूर प्रतिभाशाली एक इंजीनियरिंग (बीटेक) राज्य लोक सेवा आयोग (सीजीपीएससी) कार्यालय में चपरासी बना पर मेहनत और लगन के बल पर वह उसी कार्यालय में अधिकारी बन गया. जिन्होंने हाल ही में छत्तीसगढ़ राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा सामान्य श्रेणी में 73 वीं (आरक्षित श्रेणी में दूसरी रैंक) रैंक के साथ पास की है

आत्म-प्रेरणा और पढ़ाई

चपरासी की नौकरी करते हुए शैलेंद्र ने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी। दफ्तर में काम करने के दौरान उन्होंने अधिकारियों को काम करते देखा और महसूस किया कि अगर वे कड़ी मेहनत करें, तो एक दिन वे भी उस पद पर पहुंच सकते हैं। बांधे राज्य के उन युवाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन गए हैं, जो इस परीक्षा की तैयारी में लगे हुए हैं. बांधे ने अपने पांचवें प्रयास में सीजीपीएससी-2023 परीक्षा पास की है, जिसके परिणाम पिछले सप्ताह घोषित किए गए थे. उन्हें सामान्य श्रेणी में 73वीं रैंक और आरक्षित श्रेणी में दूसरी रैंक मिली है हर दिन काम के बाद, वे घंटों पढ़ाई करते। सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने अपने लक्ष्य को पाने का संकल्प लिया।

सरकारी परीक्षा में सफलता

शैलेंद्र ने राज्य लोक सेवा आयोग (State Public Service Commission) की परीक्षा की तैयारी शुरू की। यह परीक्षा कठिन थी और हजारों लोग इसमें शामिल होते थे। पहले प्रयास में प्रारंभिक परीक्षा में असफल रहे. अगले प्रयास में मुख्य परीक्षा पास नहीं कर पाये. तीसरे और चौथे प्रयास में साक्षात्कार के लिए योग्य हो गये, लेकिन इसमें सफल नहीं हो पाये. अंत में पांचवें प्रयास में सफलता मिली. सीजीपीएससी की परीक्षा की तैयारी में लगातार एक के बाद एक वर्ष बीतने के दौरान उन्हें चपरासी की नौकरी चुननी पड़ी क्योंकि परिवार की आर्थिक मदद करने के लिए इसकी जरूरत थी. लेकिन इसके साथ ही उन्होंने राज्य सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी भी जारी रखी. उन्होंने कई बार असफलता का सामना किया, लेकिन कभी हार नहीं मानी। आखिरकार, उन्होंने परीक्षा पास की और अधिकारी बनने का सपना पूरा किया।

सफलता की कहानी और प्रेरणा

आज शैलेंद्र कुमार बांधे उसी दफ्तर में अधिकारी के रूप में काम कर रहे हैं, जहां वे कभी चपरासी थे। उनकी कहानी यह सिखाती है कि सपनों को पाने के लिए मेहनत, धैर्य और आत्म-प्रेरणा सबसे जरूरी हैं।

शिक्षा का महत्व

शैलेंद्र की सफलता इस बात का सबूत है कि शिक्षा किसी भी इंसान की जिंदगी बदल सकती है। उन्होंने न केवल अपनी जिंदगी बदली, बल्कि अपने परिवार और समाज के लिए भी प्रेरणा बने।

समाज के लिए संदेश

शैलेंद्र का मानना है कि अगर इंसान ठान ले, तो कोई भी मुश्किल उसे रोक नहीं सकती। वे युवाओं को यही संदेश देते हैं कि पढ़ाई और मेहनत पर कभी समझौता न करें।

 

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