नए संसद भवन के रोचक तथ्य

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नई पार्लियामेंट कई मायनों में पुराने भवन से अलग है। आइये आपको बताते हैं कि संसद का नया भवन बनाने में कितना समय लगा, साथ ही कितनी लागत आई, पुराने भवन से यह कितना अलग और बड़ा है, इसमें क्या क्या ख़ास है जो पुराने संसद भवन में नहीं था और इसे बनाने में किस सामग्री का इस्तेमाल हुआ।

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किसने बनाया और कितना खर्च हुआ?

संसद के नए भवन को टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड ने बनाया है। इसमें भव्य संविधान हॉल, सदस्यों के लिए लाउंज, लाइब्रेरी, कई केमटी रूम, कैफे, डाइनिंग एरिया और पार्किंग के लिए पर्याप्त जगह है। इसका डिजाइन गुजरात की कंपनी एचसीपी ने तैयार किया है। रिपोर्ट्स की मानें तो नए भवन को बनाने में लगभग 1,200 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।

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पुराने भवन से कितना अलग?

संसद भवन को लोकतंत्र का मंदिर कहते हैं, और इस मंदिर को भव्य बनाने के लिए पूरे 96 साल बाद इसे फिर से एक नया रूप दिया गया है।

संसद भवन को लेकर आप सभी के मन में कई सवाल होंगे, आखिर इसको बनाने की जरूरत क्यों पड़ी? या फिर इसमें क्या नई-नई सुविधाएँ हैं।

campus-design-of-new-parliament-india-2संसद के नए और पुराने भवन की तुलना करें तो पुराना संसद भवन करीब 6 साल के वक़्त में 1927 में बनकर तैयार हुआ था। जबकि नया भवन तीन साल से कम समय में तैयार कर दिया गया। पुराने भवन को वर्तमान आवश्यकताओं के लिए अपर्याप्त पाया गया और बैठने की व्यवस्था भी तंग थी। इसलिए नए भवन का निर्माण किया गया।

566 मीटर व्यास में बने पुराने भवन में लोकसभा में 550 और राज्यसभा में 250 सदस्यों की क्षमता है। करीब सौ साल पुराने इस भवन में दोनों सदनों की संयुक्त बैठकों के दौरान अधिक जगह की आवश्यकता महसूस की गई थी।

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कितने लोगों के बैठने की क्षमता है??

नए भवन के लोकसभा चेंबर में 888 सदस्य और राज्यसभा चेंबर में 384 सदस्य बैठ सकते हैं। दोनों सदनों की संयुक्त बैठक होने पर लोकसभा कक्ष में कुल 1,280 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई है। अभी वर्तमान संसद भवन में लोकसभा में 550 और राज्यसभा में 240 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई है।interior-design-new-parliament-india-6

वायु और ध्वनि प्रदूषण फ्री

नए संसद भवन के निर्माण के दौरान वायु और ध्वनि प्रदूषण पर रोकथाम के लिए कई कदम उठाए गए हैं। बता दें, इसमें सभी सांसदों के लिए अलग-अलग दफ्तर होगा, उनके कार्यलय को पेपरलेस ऑफिस बनाने के लिए नई डिजिटल इंटरफेस से लैस किया गया है। इस नई इमारत में एक भव्य संविधान हॉल, संसद सदस्यों के लिए एक लाउंज, एक लाइब्रेरी, डाइनिंग हॉल और पार्किंग की जगह भी है।

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अंदर का नज़ारा कैसा है?

अधिकारियों के अनुसार इसमें 6 गेट और सार्वजनिक वाले रास्तों में देश के अलग-अलग हिस्सों की मूर्तियां और आर्ट वर्क हैं। यहाँ देश में पूजे जाने वाले जानवरों की झलकियाँ भी देखने को मिल जाएँगी। इनमें गरुड़, गज, अश्व और मगर शामिल हैं। यहाँ तीन गैलरी हैं, जो भारत की ऐतिहासिक से आधुनिक दौर की यात्रा करवाएंगी।interior-design-new-parliament-india-3interior-design-new-parliament-india-1

तीन खास मुख्य द्वार

नए संसद भवन में तीन नए द्वार हैं, जिन्हें ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार के नाम से जाना जाएगा। भवन में महात्मा गांधी, भीमराव आंबेडकर, सरदार पटेल, और चाणक्य की ग्रेनाइट मूर्ती भी स्थापित है।

नए संसद भवन का ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार यहां काम करने वाले लोगों, नौकरशाहों और सांसदों को ज्ञान, शक्ति और कर्म से विमुख नहीं होने देगा।

नई संसद की सबसे बड़ी विशेषता तो इसके संविधान हॉल में स्थित है, इसे भवन के बीचोंबीच बनाया गया है। इसके ऊपर अशोक स्तंभ लगाया गया है। इस हॉल में संविधान की कॉपी रखी जाएगी, यही नहीं महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सुभाषचंद्र बोस, जैसे महान देश के प्रधानमंत्रियों की भी एक बड़ी तस्वीरों को यहाँ लगाया गया है।

interior-design-new-parliament-india-4नए संसद भवन के उद्घाटन के दिन इसे बनाने वाले श्रमवीरों को उनके काम और योगदान के लिए सम्मानित कर उनका आभार प्रकट किया गया।

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भवन के निर्माण में क्या सामग्री इस्तेमाल हुई?

अब जानते हैं इस भवन के निर्माण में इस्तेमाल हुई सामग्री के बारे में जैसे कि ये कौनसी सामग्री थी और इसे कहाँ से लाया गया। 

  1. नई भवन की दीवारों और छतों पर जो पेंटिंग की गई है, वह फ्रेस्को विधि से की गई है। इसी विधि का उपयोग अजंता की गुफाओं के चित्रों में हुआ है।
  2. नए संसद भवन में जिस सागौन की लकड़ी का उपयोग हुआ है, वह महाराष्ट्र के नागपुर से मंगाई गई है।
  3. लाल और सफेद बलुआ पत्थर को राजस्थान के सरमथुरा से लाकर लगाया गया है।
  4. नए संसद भवन में जो कालीन बिछी है, वह नगरी मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश) से मंगवाए गए हैं।
  5. न्यू पार्लियामेंट बिल्डिंग के स्टोन जाली वर्क्स की सामग्रियाँ राजस्थान और नोएडा से मंगवाए गए हैं।
  6. अशोक चिन्ह का प्रतीक महाराष्ट्र के औरंगाबाद और राजस्थान की राजधानी जयपुर से मंगवाया गया है।
  7. नए संसद भवन की लोक सभा और राज्य सभा के हॉल में लगा अशोक चक्र मध्य प्रदेश के इंदौर से लाया गया है।
  8. यहाँ लगे कुछ फर्नीचर मुंबई से मंगाए गए हैं।
  9. फर्श बनाने के लिए बांस की लकड़ी का इस्तेमाल हुआ है। इसके लिए त्रिपुरा के अगरतला से बांस की लकड़ी मंगाई गई।
  10. लाख/लाखा जैसलमेर से मंगवाया गया है।
  11. सफेद संगमरमर को राजस्थान के अंबाजी से मंगवाकर लगाया गया है।
  12. केशरिया ग्रीन स्टोन को उदयपुर से मंगवाया गया है।
  13. नए संसद भवन में पत्थर पर सुन्दर और बारीक नक्काशी का काम भी हुआ है। ये पत्थर की नक्काशी वाले आइटम आबू रोड और उदयपुर से लाया गया है।
  14. पूरे पार्लियामेंट बिल्डिंग के लिए पत्थरों को राजस्थान के कोटपूतली से मंगवाया गया है।
  15. पूरे पार्लियामेंट के निर्माण के लिए मैन्युफैक्चरिंग बालू (एम-सैंड) हरियाणा के चरखी दादरी से लाया गया है।
  16. फ्लाई ऐश ब्रिक्स को यह हरियाणा और उत्तर प्रदेश से लाकर लगाया गया है।
  17. न्यू पार्लियामेंट हाउस में लगाने के लिए ब्रास वर्क और प्री-कास्ट ट्रेंच गुजरात के अहमदाबाद से मंगवाए गए हैं।
  18. LS/RS फाल्स सीलिंग स्टील संरचना को इसे दमन और दीव से मंगवाया गया है।
  19. भारत की प्राचीन कलाओं और सांस्कृतिक विविधता के अद्भुत एकीकरण को संसद भवन की दीवारों पर उकेरा गया है।

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भवन से जुड़े तथ्य और रोचक बातें

अब बात करते हैं नए संसद भवन के और रोचक तथ्यों के बारे में। आज का ये भवन आधुनिक सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाया गया है। साथ ही साथ भारत के वास्तु शिल्प, कला कृतियाँ, आर्ट वर्क आदि का भी ख़ास ख्याल रखा गया है।

  1. नए संसद भवन की आधारशिला 10 दिसंबर, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रखी गई।
  2. नया संसद भवन ढाई वर्ष में बनकर तैयार हुआ है। इसका निर्माण 15 जनवरी, 2021 को सुचारू रूप से शुरू हुआ था।
  3. परियोजना को पूरा करने की समय सीमा नवंबर, 2022 रखी गई थी, लेकिन ये मई 2023 में तैयार हुआ, जिसका विधिवत उद्घाटन 28 मई, 2023 को हुआ।
  4. नया संसद भवन त्रिकोण आकार का है, लेकिन वास्तव में यह एक अनियमित षटकोण है। इसका निर्माण सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत कराया गया है।
  5. नया संसद भवन लगभग 65 हजार वर्ग मीटर (64,500 वर्ग मी.) में फैला है। यह एक चार मंजिला इमारत है।
  6. नए संसद भवन को लगभग 60 हजार श्रमवीरों द्वारा निर्मित किया गया है।
  7. नए भवन को बनाने में लगभग 862 करोड़ रुपये की लागत आंकी गई थी। लेकिन, बाद में इसके निर्माण की कीमत 1,200 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।
  8. लगभग 23 लाख मानव दिवस से भी अधिक सृजित रोजगार से नई संसद का निर्माण कार्य पूरा किया गया। यह एक कीर्तिमान है।

इसे ऐसे समझ सकते हैं कि एक व्यक्ति अगर संसद भवन बनाने लगता तो उसे 23 लाख दिन काम करना पड़ता यानी कि 6312 साल लग जाते।

  1. नया संसद भवन भारत के मशहूर आर्किटेक्ट बिमल पटेल के निर्देशन में बना है। वे गुजरात के अहमदाबाद शहर से आते हैं।
  2. नए संसद भवन की संरचना (Structure of New Parliament Building) तीन राष्ट्रीय प्रतीकों को प्रमुखता दी गई है: पहला, राष्ट्रीय पुष्प कमल, दूसरा, राष्ट्रीय पक्षी मोर और तीसरा राष्ट्रीय वृक्ष बरगद।
  3. नए संसद भवन में प्रवेश के लिए छह (6) द्वार हैं, जो भारत की 6 ऋतुओं (षडऋतु) का प्रतिनिधित्व और कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। और 3 उप-द्वार हैं। और बड़े-बड़े अक्षरों में ‘सत्यमेव जयते’ (Satyamev Jayate) लिखा हुआ है।
  4. नए संसद भवन के तीनों मुख्य द्वार—जल, नभ और थल द्वार—को क्रमशः ज्ञान द्वार (Gyan Dwar), शक्ति द्वार (Shakti Dwar) और कर्म द्वार (Karma Dwar) नाम दिया गया है। वीआईपी, सांसदों और विजिटर्स का प्रवेश अलग-अलग द्वार से होगा।
  5. नए संसद भवन के ऊपर भवन के बीच में शीर्ष पर भारत के राष्ट्रीय प्रतीक (National Emblem) अशोक स्तंभ के चार सिंह स्थापित हैं। यह राष्ट्रीय प्रतीक कांस्य (Bronze) से बना है, जिसका कुल वजन 9500 किलोग्राम है। इस राष्ट्रीय प्रतीक की ऊंचाई 6.5 मीटर है और इसको सपोर्ट करने के लिए लगभग 6500 किलोग्राम वजन वाले स्टील की एक सहायक संरचना का भी निर्माण किया गया है।

प्रतीक का अनावरण पीएम नरेन्द्र मोदी ने 11 जुलाई, 2022 को किया था।

  1. बता दें कि नई संसद भवन में लगभग 92 कमरे हैं। इसके एक भाग में लोकसभा और दूसरे भाग में राज्य सभा है। इस भवन का केंद्र स्थल हर भारतीय को समर्पित है।
  2. लोकसभा कक्ष की संरचना की डिज़ाइन भारत के राष्ट्रीय पक्षी मोर से प्रेरित है। इस कक्ष की हर डिज़ाइन में मोर की आकृति और मोरपंख की झलक दिखती है।
  3. लोकसभा कक्ष की दीवार, कालीन और कुर्सियों के कुशन के रंग को परम्परानुसार हरा रखा गया है। हरा रंग धरती और भारत की जनता का प्रतिनिधित्व करता है।
  4. राज्यसभा कक्ष की दीवार, कालीन और कुर्सियों के कुशन के रंग को परम्परानुसार लाल रखा गया है। लाल रंग राजसी गौरव का प्रतिनिधित्व करता है।
  5. अत्याधुनिक डिजिटल सुविधाएं दोनों सदनों (लोकसभा और राजसभा) को नया आयाम देती हैं। यहां सदन की कार्यवाही को विभिन्न भाषाओँ में पढ़ा और सुना जा सकता है।
  6. भवन में वोटिंग के परिणाम और सदन की कार्यवाही के प्रसारण के लिए विशाल मल्टी-मीडिया डिस्प्ले, ऑटोमेटिक कैमरा कंट्रोल और कमांड सेंटर का निर्माण किया गया है।
  7. भवन के केंद्र में बने सेंट्रल फोयर की छत त्रिकोणीय शीशे से ढंकी है। जहां से सूर्य की किरणें छनकर फर्श पर बने पेंडुलम क्लॉक को रोशन करती है।
  8. भवन में आंगन जैसी एक खुली जगह है। यहां बरगद पेड़ को लगाया गया है।
  9. भवन के केंद्र में बने सेंट्रल फोयर (Central Foyer) में संविधान कक्ष बनाया गया है। जहां हर कोई भारत में लोकतंत्र के अतीत से वर्तमान की यात्रा का अनुभव कर सकते हैं।
  10. विकास और विरासत के अद्भुत इस नए संसद भवन में 1700 से अधिक दरवाजे और खिड़कियां हैं।
  11. नई संसद भवन में लगभग 92 कमरे हैं। इसमें बने कॉरिडोर की कुल लंबाई 3.5 किलोमीटर से अधिक है।
  12. आज से 75 वर्ष पूर्व के भारत की स्वतंत्रता की भावना को पुनर्जीवित करते हुए पीएम मोदी ने सेंगोल को तमिलनाडु से आए आदीनम् संतों के हाथों से स्वीकार किया।
  13. सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक चिह्न सेंगोल को लोकसभा कक्ष में अध्यक्ष की कुर्सी के पास स्थापित किया गया है।
  14. सेंगोल तमिल शब्द ‘सेम्मइ’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘नीतिपरायणता’। सेंगोल राष्ट्र के लिए न्यायपूर्ण और निष्पक्ष शासन का स्मरण कराता है।
  15. सेंगोल के शीर्ष पर न्याय के प्रतीक पवित्र नंदी अपनी अचल दृष्टि से विराजित हैं। यह वही सेंगोल है, जिसे जवाहरलाल नेहरु ने 13 अगस्त, 1947 की रात को तिरुवावडुतुरै आदीनम् से एक अनुष्ठान के माध्यम से प्राप्त किया था।
  16. सेंगोल की परंपरा दक्षिण भारत के चोल साम्राज्य से जुड़ी है। सेंगोल के प्राप्तकर्ता के पास न्यायपूर्ण और निष्पक्ष रूप से शासन करने का आदेश होता है, जिसे तमिल में ‘आनेय’ कहा जाता है।
  17. त्रिकोण के आकार में बना नया संसद भवन सत्व, रजस और तमस को परिभाषित करते हुए षटकोण का आकार लेता है, जो जीवन में षट्-रिपू यानी छह मनोविकार को दूर करने का संदेश देता है।

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