दोस्तों,
हम सब अक्सर सुनते हैं कि शिक्षा इंसान की ज़िंदगी बदल सकती है।
लेकिन जब कोई व्यक्ति गरीबी, भाषा की दिक्कत और दिन-रात की मेहनत के बावजूद अपने सपनों को सच कर दिखाता है,
तो वह कहानी सिर्फ प्रेरणा नहीं, बल्कि उम्मीद बन जाती है।
यह कहानी है रंजीत रामचंद्रन की —
एक ऐसे इंसान की जिसने ज़िंदगी के सबसे कठिन हालातों में भी हार नहीं मानी,
और अंत में IIM Ranchi में Assistant Professor बनकर यह साबित कर दिया कि
अगर इरादे मज़बूत हों, तो हालात रास्ता खुद बना देते हैं।
🔎 शुरुआती जीवन: संघर्ष से भरी ज़मीन
रंजीत रामचंद्रन का जन्म केरल के कासरगोड़ जिले के पनाथूर में एक साधारण और आर्थिक रूप से कमजोर परिवार में हुआ।
उनके पिता पेशे से दर्जी थे और उनकी माँ मनरेगा के तहत दिहाड़ी मज़दूरी करती थीं।
घर की आर्थिक स्थिति इतनी सीमित थी कि रंजीत को बहुत कम उम्र से ही यह समझ आ गया था कि अगर पढ़ाई जारी रखनी है, तो खुद मेहनत करनी होगी।
एक समय ऐसा भी आया जब उन्होंने पढ़ाई छोड़ने के बारे में गंभीरता से सोचा, क्योंकि घर की हालत इतनी खराब थी कि शिक्षा एक बोझ जैसी लगने लगी थी।
लेकिन उनके अंदर सीखने की भूख और आगे बढ़ने की ज़िद उन्हें रुकने नहीं दे रही थी।
🌙 रात में चौकीदारी, दिन में पढ़ाई
अपनी पढ़ाई को जारी रखने के लिए रंजीत ने बीएसएनएल के एक टेलीफोन एक्सचेंज में night watchman (रात की चौकीदार) की नौकरी शुरू की।
दिन में वे कॉलेज जाकर Economics (अर्थशास्त्र) की पढ़ाई करते, और रात में चौकीदारी करते थे —
ताकि घर का खर्च भी चल सके और उनकी पढ़ाई भी रुके नहीं।
शुरुआत में उनकी सैलरी बहुत कम थी, लेकिन उन्होंने कभी शिकायत नहीं की।
उनके लिए यह नौकरी सिर्फ पैसे का साधन नहीं थी, बल्कि अपने सपनों को ज़िंदा रखने का जरिया थी।
📘 IIT Madras का सफर: भाषा और आत्मविश्वास की चुनौती
Graduation के बाद रंजीत को IIT Madras में PhD करने का मौका मिला।
लेकिन यहाँ एक नई चुनौती उनका इंतज़ार कर रही थी — भाषा।
रंजीत सिर्फ मलयालम जानते थे, जबकि यहाँ की पढ़ाई पूरी तरह अंग्रेज़ी में थी।
शुरुआती दिनों में उन्हें lectures समझने में काफी दिक्कत होती थी।
कई बार उन्हें लगा कि शायद यह जगह उनके लिए नहीं है और उन्हें बीच में ही छोड़ देना चाहिए।
लेकिन उनके mentors ने उन्हें समझाया कि शुरुआत में मुश्किल होना बिल्कुल normal है, और सीखने का यही सही समय होता है।
धीरे-धीरे, लगातार मेहनत और अभ्यास से उन्होंने न सिर्फ भाषा पर पकड़ बनाई, बल्कि अपनी PhD भी सफलतापूर्वक पूरी की।
👨🏫 पहली teaching job: Christ University
PhD पूरी करने के बाद रंजीत ने Christ University, Bengaluru में Assistant Professor के रूप में पढ़ाना शुरू किया।
यह उनके academic career का पहला बड़ा कदम था। यहाँ उन्होंने teaching, research और students के साथ काम करने का मूल्यवान अनुभव हासिल किया।
यही अनुभव आगे चलकर उन्हें और बड़े संस्थानों के लिए तैयार करने वाला था।
🎯 IIM Ranchi तक की मंज़िल
कभी रात में चौकीदारी करने वाला यह इंसान आज Indian Institute of Management (IIM) Ranchi में Assistant Professor है।
यह सिर्फ एक नौकरी नहीं, बल्कि संघर्ष के बाद मिली पहचान है।
जहाँ कभी वे किताबों के लिए तरसते थे, आज वहीं वे students को knowledge और direction दे रहे हैं।
📣 सोशल मीडिया पर वायरल हुई कहानी
रंजीत ने एक बार अपने पुराने घर की तस्वीर के साथ सोशल मीडिया पर अपनी कहानी शेयर की।
उन्होंने लिखा कि “यही वह घर है जहाँ से एक IIM Professor की यात्रा शुरू हुई।”
यह पोस्ट देखते ही देखते हज़ारों लोगों तक पहुँच गई और लाखों दिलों को छू गई।
उनकी कहानी ने यह दिखाया कि सच्चाई और संघर्ष आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं।
📚 शिक्षा — सबसे मज़बूत हथियार
रंजीत कई बार आर्थिक हालात की वजह से पढ़ाई छोड़ने के करीब पहुँच गए थे।
लेकिन उन्होंने एक बात कभी नहीं छोड़ी — शिक्षा पर भरोसा।
उनके माता-पिता ने सीमित साधनों के बावजूद उनका पूरा साथ दिया।
यही समर्थन और उनकी खुद की मेहनत आज उनकी सबसे बड़ी ताकत है।
🌟 युवाओं और छात्रों के लिए संदेश
रंजीत का संदेश बहुत सीधा है:
“मुश्किल हालात से भागिए मत।
उनसे लड़िए, उनसे सीखिए
और अपने सपनों को ज़िंदा रखिए।”
वे मानते हैं कि हर इंसान की journey अलग होती है, लेकिन कोशिश करने का हक़ सबके पास होता है।
🛤️ Ranjith Ramachandran की कहानी से सीख
⭐ 1) शिक्षा जीवन बदल सकती है
अगर आप सीखना नहीं छोड़ते,
तो हालात कितने भी मुश्किल हों —
रास्ता ज़रूर निकलता है।
💪 2) संघर्ष character बनाता है
आसान रास्ते comfort देते हैं,
लेकिन मुश्किल रास्ते इंसान बनाते हैं।
🧠 3) जल्दी हार मत मानिए
कई बार हम बस एक कदम दूर होते हैं,
लेकिन उससे पहले ही रुक जाते हैं।
🎓 निष्कर्ष: एक साधारण इंसान, असाधारण सफर
दोस्तों,
रंजीत रामचंद्रन की कहानी हमें यह याद दिलाती है कि:
- गरीबी अंत नहीं होती
- भाषा बाधा नहीं होती
- और मेहनत कभी बेकार नहीं जाती
अगर इंसान खुद पर भरोसा रखे, तो night watchman से IIM Professor तक का सफर भी मुमकिन है।
सपने देखिए, मेहनत कीजिए और हमेशा — Badte Raho। 💫
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